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________________ समयाबोधिनी टीका प्र. श्रु. अ. ५ उ. २ नारकीयवेदनानिरूपणम् ४०३ स्वेच्छया गच्छन्ति किन्तु तत्रत्यः सर्वोऽपि व्यवसायव्यवहारः पराधीन एव. यातनाभूमिस्वानरकस्येति भावः ॥५॥ मूलम् ते संपेगाढंसि पर्वजमाणा सिलाहि हम्मति निपातिणीहिं। संतावणी नाम चिरट्रितीया संतप्पती जत्थ असाहुँकम्मा॥६॥ छाया-ते संमगाढं प्रपद्यमानाः शिलाभिर्हन्यन्ते निपातिनीभिः । संतापिनी नाम चिरस्थितिका संताप्यन्ते यत्र असाधुकर्माणः ॥६॥ अन्वयार्थः-(ते) ते नारकजीवाः (संपगाढंसि) संप्रगाढम्-असह्य वेदनायुक्त नरके (पवज्जमाणा) प्रपद्यमानाः गन्तारः (निपातिणीहिं) निपातनीभिः-अधः पातयितुं योग्यामिः (सिलाहिं) शिलाभिः पाषाण खण्डैः (हम्मंति) हन्यन्ते ताड्यन्ते (संतावणी नाम) संतापनी नाम कुंभी (चिरहिनीया) चिरस्थितिका बहुकालअपनी इच्छा से कहीं विश्राम लेते हैं और न कहीं चलते हैं । वहाँ का सम्पूर्ण व्यवसाय व्यवहार पराधीन ही है । क्योंकि नरक तो केवल यातनाभूमि ही है ॥५॥ 'ते संपगाढंसि' इत्यादि। __ शब्दार्थ-'ते-ते' वे नारकजीव 'संपगाढंसि-संप्रगाढे' अधिक वेदनायुक्त असह्य नरक में 'पवज्जमाणा-प्रपद्यमानाः' गए हुए 'निपा. तिणीहि-निपातिनीभिः' सन्मुख गिरने वाली 'सिलाहि-शिलाभि:' पाषाण के खण्डों से 'हम्मंति-हेन्यन्ते' मारे जाते हैं 'संतावणी नामसंतापिनी नाम संतापनी अर्थात् कुम्भी नाम का नरक 'चिरद्वितीयाचिरस्थितिकाः' पल्योपम सागरोपम कालपर्यन्त स्थितिवाला है દશા ભોગવવી પડે છે. પરમધામિકે તેમને જે જે યાતનાઓ આપે, તે તેમને સહન કરવી જ પડે છે. આ રીતે આ નરકથાને યાતનાભૂમિ જેવાં જ છે. આપણે 'ते संपगाढसि' त्याहि शा---'ते-ते' ते ना२४ २५ 'संपगाढसि-संप्रगाढे' मधिर वहन युत मसह न२४मा 'पवज्जमाणा-प्रपद्यमानाः' गयेस 'निपातिणीहि-निपातिनीभिः' सोभे भावाने पायाजी सिलाहि-शिलाभिः' पत्थरना माथी 'हम्मंतिहन्यन्ते' भाषामा मावे छे. 'संतावणीनाम-संतापनीनाम-मर्थात् भनी नाम: न२४ 'चिरद्वितीया-चिरस्थितिकाः' पक्ष्या५म. सा५म सरयत स्थितिपाछे. 'जत्थ-यत्र' भi 'असाहुकम्मा-असाधुकर्माणः' ५।५४ ४२५ापा શ્રી સૂત્ર કતાંગ સૂત્ર : ૨
SR No.006306
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages728
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size40 MB
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