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सूत्रकृतागसूत्र भा. दूसरे की विषयानुकममणिका अनुक्रमाङ्क विषय
पृष्ठ तीसरा अध्ययन का पहला उद्देशा १ साधुको परीषह और उपसर्ग को सहन करनेका उपदेश १-८ २ संयम का रूक्षत्य का निरूपण
९-१२ ३ भिक्षापरीषह का निरूपण
१३-१६ ४ यधपरीषह का निरूपण
१७-२६ ५ दंशमशकादि परीषहों का निरूपण
२७-२८ ६ केशलंचन के असहत्य का निरूपण
२९-३१ ७ परतीथिकों का पीडित करनेका निरूपण
३२-३७ ८ अध्ययन का उपसंहार
३८-३९ तीसरे अध्ययन का दूसरा उद्देशा ९ अनुकूल उपसर्गों का निरूपण
४०-८७ __ तीसरे अध्ययन का तीसरा उद्देशा १० उपसर्गजन्य तपासंयम विराधना का निरूपण ८८-१०६ ११ अन्यतीथिकों के द्वारा कहे जानेवाले
आक्षेपवचनों का निरूपण १०७-१११ १२ अन्यतीर्थिकों के द्वारा किये गये
आक्षेप वचनों का उत्तर ११२-१२५ १३ याद में पराजित हुए अन्यतीथिकों की
धृष्टता का प्रतिपादन १२६-१३० १४ यादिके साथ शास्त्रार्थ में समभाव रखने का उपदेश १३१-१३७
तीसरे अध्ययन का चतुर्थ उद्देशा १५ मार्ग से स्खलित हुए साधु को उपदेश
१३८-१९९
શ્રી સૂત્ર કૃતાંગ સૂત્રઃ ૨