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मर्मप्रकाशिका टीका श्रुतस्कंध २ सू. १ अ. १२ रूपासक्तिनिषेध:
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'वेढिमाणि वा' वेष्टिमानि वा वस्त्रादिनिष्पादित पुतलिकाप्रभृतिरूपाणि 'पूरिमाणि वा' पूरिमाणि वा अभ्यन्तर पुरणद्वारा निष्पादित पुरुषाद्याकृतिरूपाणि 'संघाइमाणिवा' संघातिमानि - चोलकप्रभृतिरूपाणि 'कटुकम्माणि वा' काठकर्माणि वा काष्ठतक्षण क्रियानिष्पादित रथादिरूपाणि 'पोत्थकम्माणि वा' पुस्तकर्माणि वा सुधादि लेपनद्वारा कृतलेप्यकर्माणि 'चित्तम्माणि वा' चित्रकर्माणि वा प्रसिद्धान्येव 'मणिकम्माणि वा' मणिकर्माणि वा पद्मरागादि विचित्रमणिनिष्पादितस्वस्तिकादिरूपाणि 'दंतकम्माणि वा' दन्तकर्माणि वा दन्तमयपुतलिकादिरूपाणि 'पत्त छिज्जकम्माणि वा' पत्रच्छेद्य कर्माणि वा पत्रच्छेदनक्रिया निष्पन्नरूपाणि 'विविधाणिवा' विविधानि वा अनेकप्रकाराणि 'वेढिमाई' वेष्टिमानि रूपाणि 'अन्नराई वा अन्यतराणि वा अन्यानि 'विरूवरूवा रुवाई' विरूपरूपाणि- अनेकविधानि रूपाणि स्वस्तिक आदि के रूपों को एवं 'वेढिमाणि वा' वेष्टिम अर्थात् वस्त्रादि से निष्पादित कठपुतली वगैरह के रूपों को या 'पूरिमाणि वा' पूरिम अर्थात् अंदर को पूरण द्वारा निष्पादित पुरुषादि आकृति वाले रूपों को एवं 'संघाइमाणि वा' संघातिम अर्थात् चोलक प्रकृति के रूपों को या 'कट्टकम्माणि वा' काष्ठकर्म अर्थात् लकड़ी को छीलछाल कर निष्पादित रथादि के रूपों को एवं 'पोत्थकम्माणि वा' पुस्तक में अर्थात् सुधा चुना वगैरह के लेप द्वारा किया हुआ लेप्य कर्मो को एवं 'चित्तकम्माणि वा' चित्रकर्मों को एवं 'मणिकम्माणि वा' मणिकर्म अर्थात् पद्मराग वगैरह अनेक मणि द्वारा निष्पादित स्वस्तिक आदि के रूपों को एवं 'दंतकम्माणि वा' दंतकर्म अर्थात् दंतमय पुत्तलादि याने दांतों से बनाये हुए कठपुतली वगैरह के रूपों को एवं पत्तछिज्जकम्माणि वा' पत्रच्छेद्य कर्म अर्थात् पत्रों के छेदन क्रिया से निष्पन्न रूपों को एवं 'विविहाणि वा' विविध अर्थात् अनेक प्रकार के 'वेढिमाई अन्नयराई वा' वेष्टिम अर्थात् वस्त्रादि से निष्पादित 'गंधिमाणि वा' पुण्याद्विथी गूंथीने मनावेस वस्ति विगेरे इपोने 'वेढिमाणि वा' अथवा वेष्टित भेटले ! वस्त्राहिथी मनावेस यूतजी विगेरेना इपोने अथवा 'पूरिमाणि वा' रिम भेटले } मह२ ३ लरीने मनावेस ३ष विगेरेनी साहृतिवाजा इपोने अथवा 'संघाइमाणि वा' संधातिभ मेटले - विगेरे इयोने अथवा 'कटुकम्माणि वा' अष्ट भु भेटले }-साम्डाने छोसीने मनावेस स्थाहिता इयोने अथवा 'पोत्थकम्माणि वा' पुस्त पेटले } यूना विगेरेथी उरेस वेष्य भने तथा 'चित्तकम्माणि वा' चित्र भने तथा 'मणिकम्माणि वा' भर्मि अर्थात् पद्मराग विगेरे भने भलियो द्वारा मनावेस स्वस्तिठ विगेरे ३पोने अथवा 'दंतकम्माणि वा' 'तम्भ अर्थात हाथीदांत विगेरे हांतथी मनावेस चुतजी विगेरेना इयोने अथवा 'पत्तज्जिकम्माणि वा' पत्रछेध या अर्थात् पत्रोने नडियाथी मनावेस पुतणी विगेरेना उपने अथवा 'विविहाणि वा वेढिमाई' भने प्रारना वेष्टिभ वस्त्र विगेरेथी मनावेस युती वगेरेना उपने अथवा 'अन्नयराई वा विरूवरूवाई'
શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૪