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________________ ५६२ आचारांगसूत्रे कित्संख्याकाः अत्र - अस्मिन् ग्रामादौ अश्वाः घोटकाः वर्तन्ते हस्तिनो वा कियन्तः सन्ति ? 'गामपिंडोलगा मणुस्सा परिवसंति ?' ग्रामपिण्डोलका : ग्रामभिक्षुका दोनदरिद्रा मनुष्याः कियन्तः परिवसन्ति वर्तन्ते ! ' से बहुभत्ते बहु उदए' स खलु ग्रामः बहुभक्तः बहुभक्तान्तयुक्तो बहूदकः बहुजलयुक्तो वर्तते ? 'बहुजणे बहुजनसे' बहुजनः बहुजनयुक्तः, बहुयवसयुक्तो वर्तते ! अथवा 'से अध्यभत्ते अप्पुदए अपजणे अप्पजवसे !' स ग्रामः अल्पभक्त:- किञ्चिन्मात्र भक्तान्नयुक्तः अल्पोदकः किञ्चन्मात्र जलयुक्तः अल्पजनः अल्पजनयुक्तो वर्तते, अल्प यवस:सः - किञ्चिन्मात्र यवसयुक्तो वा वर्तते ? 'एयप्पाराणि परिणाणि पुच्छिज्जा' एतत्प्रकारान उपर्युक्त ग्रामादि विषयकान् प्रश्नान् यदि पृच्छेयुः तदा 'एयपगाराणि परिणाणि' एतत्प्रकारान् उपर्युक्तरूपान ग्रामादि विषयकान प्रश्नान् 'पुट्ठो वा कितना बडा यह आकर खान है एवं कितना बडा यह आश्रम है ? एवं कितनी बडी यह राजधानी है ? और 'केवइया इत्थ आसा हत्थी' और इस ग्राम वगैरह में कितने घोडे हैं ? और कितने हाथी है ? एवं 'गामपिंडोलगा मणुस्सा परिव संति' कितने ग्राम पिण्डोलक ग्राम भिक्षुक गरीब दीन दुःखी दरिद्र मनुष्य रहते है ? इस तरह उन पथिकों के द्वारा पूछने पर और 'से' वह ग्रामनगर वगैरह क्या 'बहुभत्ते' अधिक चावल भातवाले हैं ? एवं 'बहुउदए' क्या बहुत पानी वाला है ? तथा 'बहुजणे' क्या बहुत मनुष्य भी वहां रहता है ? एवं 'बहुजनसे ' अधिक गोधूम वगैरह धान्यवाला है ! या 'से अप्पभत्ते' वह ग्राम नगर वगैरह थोडा ही भक्त - चावल वाला है ? एवं 'अप्पुदए' थोडा ही पानीवाला है ? तथा 'अप्पजणे' थोडे ही मनुष्य वहां रहते हैं ? तथा उस ग्रामनगर वगैरह में 'अप्पजवसे' थोडे ही गोधूम चना वगैरह अनाज है ? 'एयपगाराणि परिणाणि' इस प्रकारका प्रश्नों को 'पुच्छिज्जा' पूछे तो वह 'एयप्पगाराणि परिणाणि पुट्टो या, डेवडी मोटी मा राजधानी छे ! तथा 'केवइया इत्थ आसा' मा ગામ વિગેરેમાં કેટલા घोडा छे ? अथवा ' हत्थी' डेटला हाथी छे ? तथा 'गामपिंडोलगा' मणुस्सा परिवसंति' કેટલા ગ્રામપિ ડાલક અર્થાત્ ગ્રામભિક્ષુક ગરીમદીન દુ:ખી અને દરિદ્ર માણુસા રહે છે ? रमा अभागे थे वटेभार्जुना पुछ्वाथी ' से बहुमत्ते' अने ते गाम विगेरेमा योमा पधारे थाय छे ? अथवा 'बहुउदर' मे गमाहिमां पाशु वधारे छे ? 'बहुजणे' धा भालुसो त्यां पसे छे ? 'बहुजवसे' घडू' विगेरे धान्य अधिक प्रभाशुभां अप्पत्ते' या आम नगर विगेरे थोडा ४ योजावाजा छे ? पायीवाणा से गाम नगराहि छे ? अथवा 'अप्पजणे' थोडा भाणुसो त्यां निवास रे छे १ तथा 'अप्पजवसे' मे गाभाहिभां थोडु ४ घडू या विगेरे मनान छे ? 'एयपगाराणि परिणाणि पुच्छिज्जा' भावा प्रहारना ले अभी पूछे तो ते साधु मगर साध्वीये 'गप्पगारणि परिणाणि पुट्ठो वा अद्रो वा' मापा अारना अश्नी थूछे हैन यूछे य त्यां हो ? अथवा 'से तथा 'अप्पुदर' थोडा શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૪
SR No.006304
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1979
Total Pages1199
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size83 MB
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