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आचारांगसूत्रे
भिक्खू वा भिक्खुणी वा' स भिक्षुर्वा भिक्षुकी वा साधुर्वा साध्वी वा 'से जं पुण उवस्पयं जाणिज्जा' स यदि पुनरेवं वक्ष्यमाणरूपम् उपाश्रयं जानीयात् तद्यथा 'इह खलु गाहावइ वा ' इह खलु उपाश्रयसविधे गृहपति व 'गाहावर भारिया वा' गृहपति भार्या वा 'गाहावाइ - भगणि वा' गृहपतिभगिनी वा 'गादावइपुतो वा' गृहपतिपुत्रो वा 'गाहावइधूए वा गृहपतिदुहिता वा 'सुहा वा' स्नुषा गृहपतिपुत्रवधू व 'घाई वा' धात्री वा 'दासो वा' जा कम्मकरीओ वा दासो वा यावत् दासी वा कर्मकरो वा कर्मकरी वा अन्यतमाः 'अण्णमण्णमको संति' अन्योन्यम् परस्परम् आक्रोशन्ति कलहं कुर्वन्ति 'जाव उद्दति वा' यावत् उद्भवन्ति वा उपद्रव कुर्वन्ति तत्र 'णो पण्णस्स' नो प्राज्ञस्य संयमशीलस्य साधोः 'णिक्खमणपवेसणार' निष्क्रमणप्रवेशनाय निष्क्रमितुं प्रवेष्टुं वा 'जाव णुचिताए' यावद् अनु चिन्तायै नहीं रहना चाहिये ऐसा बतलाते हैं
टीकार्य - 'से भिख्खूवा भिक्खुणी वा से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा' वह पूर्वोक्त भिक्षुक संयमशील साधु और भिक्षुकी साध्वी यदि ऐसा वक्ष्यमाण रूप से उपाश्रय को जान ले कि 'इहखलु' इस उपाश्रय के निकट 'गाहावइ वा ' गृहस्थ श्रावक या 'गाहायइ भारिया वा' गृहपति भार्या - गृहस्थ की धर्मपत्नी, श्राविका भी 'गाहावई भगिणी चा' गृहपति की भगिनी - बहन या ' गाहावई पुसो वा' गृहपति का पुत्र अथवा 'गाहावई धूए वा' - गृहपति की दुहिता कन्या या, - 'सुहा वा' गृहपति की पुत्रवधू या - 'घाई वा' - धात्री -घाई या 'दासो वा' दास सेवक और 'जाब कम्मकरी वा' परिचारिका या कर्मकर या कर्मकरी नौकरानी - 'अण्णमणमुक्कोसंति वा' अन्यान्य परस्पर में आक्रोश करते हैं लड़ते झगडते रहते हैं और 'जाव उद्दवंति वा' यावत् कलह करते रहते हैं एवं मारपीट भी करते रहते हैं और उपद्रव भी करते रहते है- ' णो पण्णस्स કરવા કથન કહે છે.-
टीडार्थ' - 'से भिक्खु वा भिक्खुणी वा ते पूर्वोस्त संयमशील साधु ने साध्वी 'से जं पुण उस्सयं जाणिज्जा' ले मा वक्ष्यमाणु अारथी उपाश्रयने नशे 'इह खलु गाहावइ वा' आ उपाश्रयनी समीप गृहस्थ श्राव अथवा ' गाहावइ भारिया वा' गृहस्थ श्रावनी पत्नी श्राविश्र अथवा 'गाहावइभगिणी वा' गृहस्थ श्रावनी जडेन अथवा 'गाहावर पुतो वा' गृहपति पुत्र अथवा 'गाहाबइ धूर वा' गृहपतिनी पुत्री अथवा 'सुहा वा' गृहपतिनी पुत्रवधू अथवा 'धाई वा' धार्ड अथवा 'दासो वा' हास सेव ने 'जाव कम्मकरी वा' यावत् उर्भ पुरी नाराणी 'अण्णमण्णमकोसंति वा' परस्परभां सडे छे, 'जाव उवेति वा' यावत् उझरेछे खेने भाराभारी पशु र्या भने उपद्रव पशु र्या रे छे. तो भाषा प्रभारना उपाश्रयमां ' णो पण्णस्स क्खिमणपवेसणाएं प्राज्ञ- युद्धिमान संयमशील साधुखे निष्ठुभाष भने अवेशवा भाटे 'जाव
શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૪