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________________ १०२८ आचारांगसूत्रे भगवतो महावीरस्य पितृव्यनामधेयानि प्ररूपयितुमाह-'समणस्स णं भगवओ महावीरस्स' श्रमणस्य खलु भगवतो महावीरस्य 'पित्तिअए सुपासे कासरगुत्तेणं' पितृव्यः-पितुर्भ्राता सुपार्श्वः काश्यपगोत्र आसीत् , महावीरस्य ज्येष्ठभ्रातु माह-'समणसणं भगवओ महावी. रस्स' श्रमणस्य खलु भगवतो महावीरस्य 'निटे भाया नंदिवद्धणे कासवगुत्तेणं' ज्येष्ठो भ्राता नन्दिवर्द्धनः काश्यपगोत्रः खलु आसीत् , महावीरज्येष्ठभ्रातुर्नाम नन्दिवर्द्धनः आसी दित्यर्थः भागवतो महावीरस्य ज्येष्ठभगिन्यानामाह-'समणस्म णं भगवओ महावीरस्स' श्रमणस्य खलु भगवतो महावीरस्य 'जेट्टा भइणी सुदंसणा कासवगुत्तेणं' ज्येष्ठा भगिनी-स्वसा सुदर्शना काश्यपगोत्रा खलु आसीत् , तथा च महावीरस्य ज्येष्ठ स्वसुर्नाम सुदर्शना इति आसोदित्यर्थः अथ महावीरस्य भार्याया नामाह-'समणस्त णं भगवो महावीरस्स' श्रमणस्य खलु भगवतो त्रिशला, विदेहदत्ता और प्रियकारिणी इस प्रकार तीन नामधेय समझना चाहिए, ___ अब भगवान् श्री महावीर स्वामी के पितृव्य (चाचा) का नाम बतलाते हैं'समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पित्तिअए सुपासे कासवगुत्ते गं' श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के पितृव्य अर्थातू पिताके भ्राता का नाम सुपार्श्व काश्यप गोत्र थे, ___ अब महावीर स्वामी के ज्येष्ठ भ्राता का नाम बतलाते हैं -'समणस्स णं भग वओ महावीरस्स जिट्टे भाया नंदिवद्धणे कासवगुत्तेणं' श्रमण भगवान महावीर स्वामी के ज्येष्ठ भ्राता अर्थात् बडे भाई का नाम नन्दीवर्धन काश्यपगोत्र था, अर्थात् श्री महवीर स्वामी का बडा भाई काश्यप गोत्र नन्दी वर्धन नाम का था, अब श्रमण भगवान् श्री महावीर स्वामी की बड़ी बहन के नाम बतलाते हैं'समणस्स णं भगवओ महावीरस्स जेट्टा भइणी सुदंसणा कासवगुत्ते णं' श्रमण भगवान् श्री महावीर स्वामी के जेष्ठा भगिनी अर्थात् बड़ी बहन काश्यपगोत्रा सुदर्शना नामकी थी, और उसका गोत्र काश्यप था, अब श्रमण भगवान् श्री महावीर स्वामी की भार्या का नाम गोत्र का प्रतिपादन करते हैं-'समणस्स णं ક્રમશઃ “ત્રિશલા, વિદેહદત્તા અને પ્રિયકારણી એ રીતે ત્રણ નામધેય સમજવા, वे मानना ४ानु नाम ४ामा आवे छे.-'समणरस णं भगवओ महावीरस्स' भगवान महावीर स्वामीना पितृव्य अर्थात् पिताना मा5 (११)नु नाम 'सुपासे कासव गोत्तेणं' सुपा ४ श्य५ गवना ता. हुवे मडावीर स्वामीना मोटामा नाम मताव छे. 'समणस्स णं भगवओ महावीरस्स' श्रम लगवान महावीरन। 'जेठे भाया' मोटामा नाम 'नदिवद्धणे' नन्हीवन तुं 'कासवगुत्तेणं' २५ने ते श्य५ गात्रा छे. ३ श्रम मावान महावीर स्वामीनी मोटी पाउन नाम छ. 'समणम्स णं भगवओ महावीरस्स' श्रम भगवान महावीर स्वामीनी 'जेटा भइणी' मेरी ननु नाम सुदंसणा कासवगुत्तेणे' सुशाना तुं २ ते ४ाश्यप गोत्रा ता. अर्थात् ४।२५५ गोत्रमा मेल उता. श्रममावान महावीर स्वामीनी पत्नीनु नाम भने जार मतावे छ.-'समणस्स श्री सागसूत्र :४
SR No.006304
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1979
Total Pages1199
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size83 MB
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