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मर्मप्रकाशिका टीका श्रुतस्कंध २ सू० २ अ. १५ भावनाध्ययनम्
१००९ तच्चे मासे' योऽसौ वर्षाणां तृतीयो मासः 'पंचमे पक्खे' पञ्चमः पक्षः 'आसोयबहुले' आश्विन बहुल:-आश्विनमासस्य कृष्ण पक्षः आश्विनवदिइत्यर्थः 'तस्सणं यासोयबहुलस्स' तस्य खलु आश्विनबहुलस्य-आश्विनकृष्णपक्षस्य 'तेरसी पक्खेणं' त्रयोदश्यां रात्रौ 'हत्थुत्तराहिं नक्खत्तण' हस्तोत्तराभिः-उत्तराफाल्गुनीभिःनक्षत्रेण सह 'जोगमुवागएणं योगम्-सम्बन्धम उपागते- प्राप्ते चन्द्रमसि उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रेण सह चन्द्रस्य योगे सतीत्यर्थः 'बासीहि राइदिएहि विइतेहि द्वयशीतौ रात्रिन्दिवे व्यतिक्रान्ते द्वयशीति ८२ रात्रिदिवे अतीते सति 'तेसोइमस्स राइंदियस्स' व्यशीतितमस्य रात्रिन्दिवस्य- अहोरात्रस्य 'परियार वट्टमाणे' पर्याये वर्तमाने सति ज्यशीतितमरात्रौ इत्यर्थः 'दाहिणमाहणकुंड पुरसंनिवेसाओ' दक्षिणब्राह्मणकुण्डपुरसनिवेशात-दक्षिणदिग्वति द्विजातिकुलनिवासस्थानभूत कुण्डपुरनामोपनगरात् 'उत्तरखत्तियकुंडपुरसंनिवे संसि' उत्तरक्षत्रियकुण्डपुर नामके सनिवेशे-उत्तरदिग्वति क्षत्रियकुलनिवासस्थानभुतकुण्ड पुरनामोपनगरे ‘नायाणं खत्तियाणं' ज्ञातानां क्षत्रियाणाम् ज्ञातवंशीय क्षत्रियमासे' जैसे उस वर्ष के तीसरे महिने और पंचमे पक्खे' इसी पञ्चम पक्ष में अर्थात् 'आसोय बहले' अश्विन कृष्ण पक्ष में तेरसी पक्खे गं' त्रयोदशी तिथि की रात में 'हत्थुराहि नक्षत्तेणं' हस्तोत्तर अर्थात् उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के साथ 'जोगमुवागएणं' योग प्राप्त होने पर अर्थात् पूर्वोक्त वर्ष के तीसरे महिने में अश्विन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशीतिथि की रात में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के साथ चंद्रमा का संबंध प्राप्त होने पर 'बासीहिं राइंदिएहि विहकतेहिं घिराशी रातदिन बीत जाने पर 'तेप्सीइमस्स राइंदियस्स परियाए वहमाणे तिराशीवां रातदिन के पर्याय (बारी) आने पर अर्थात् 'दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसाओ' तिराशीवीं रात में दक्षिण दिग्वति बाह्मण कुल का निवास स्थान भूत कुंडपुर नाम के उप. नगर से 'उत्तरखत्तिय कुंडपुरसंनिवेसंसि' उत्तर दिग्वर्ती क्षत्रिय कुल का निवास स्थान भूत कुंडपुर नाम के उपनगर में 'नायाणं खत्तियाणं' ज्ञातवंशीय क्षत्रिय मासे' २ वर्षा की भास भने 'पंचमे पक्खे' पांयमा पक्षमा अर्थात् 'आसोयबहुले' मश्विन कृry पक्षमा 'तस्स णं आसोयबहुलस्स तेरसीपक्खेण' मास भासनी ते२ तिथिनी रात्रे हत्थुत्तर हिं नक्खत्तण' स्तोत्त। अर्थात् उत्तगुनी नक्षत्री साथै 'जोगमुवागएणं' ચંદ્રને યોગ પ્રાપ્ત થાય ત્યારે એટલે કે પૂર્વોક્ત વર્ષના ત્રીજા મહીનાના આસો વદની તેરસ तिथिनी रात्र उत्त२॥ ३८गुनी नक्षत्रनी साथे यद्रमान समय थयो त्यारे 'बासीहि राईदिएहि' मासी रात दिस 'विइक्कंतेहि' वाति 14॥ ५७. 'तेसीइमस्स राइदियरस परियाए' यीभी रात सिना पर्याय (३) 'वद्रमाणे' माव्या त्यारे अर्थात् २५02041 शत्र 'दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसाओ' दक्षिण दिशा मागुन मामय उगना निवास स्थान३५३७५२ नामना ५१२थी 'उत्तरखत्तियकुडपुरसंनिवेसंसि' उत्तर हि त२३॥ क्षत्रिय इतना निवास स्थान३५ उपुर नामना नगरनी 'नायण खत्तियाण' ज्ञात शनाक्षात्रय तातमा
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श्री मायारागसूत्र :४