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________________ ૪૮ आचारागसूत्रे स्वमतिपरिकल्पितत्वनिरसनायाह-'जमेयं' इत्यादि, मूलम्-जमेयं भगवया पवेइयं तमेव अभिसमिच्चा सव्वओ सव्वत्ताए समत्तमेव समभिजाणिज्जा ॥ सू० ३ ॥ छाया—यदेतद् भगवता प्रवेदितं तदेवाभिसमेत्य सर्वतः सर्वात्मतया सम्यक्त्वमेव समभिजानीयात् ॥ मू० ३॥ टीका-'य'-दित्यादि, यत्-पूर्वोक्तं तदेतत्सर्व भगवता महावीरेण प्रवेदित द्वादशपर्षदि प्ररूपितम् , मुनिः तदेव-पूर्वोक्तमेव सर्वतः सर्वप्रकारैः सर्वात्मतया सकलात्मभावेन अभिसमेत्य विचार्य-सम्यक्त्वमेव समभिजानीयात्-आसेवनपरिज्ञया सेवेत । यद्वा-' समत्वमेवे'-तिच्छाया, तेन समत्वमेव-सचेलाऽचेलावस्थयोः समानभावम् समभिजानीयात् ॥ म् , ३ ॥ होता है, वे पांच स्थान ये हैं-१ प्रतिलेखना की अल्पता, २ विश्वासपात्रता, ३तपका सद्भाव, ४प्रशस्तलघुता, ५प्रभूततर इन्द्रियोंकी निग्रहता।मु०२॥ सूत्रकार अपनेकथनमें अपनी मतिद्वारा कल्पितताका निषेध करनेके लिये कहते हैं-'जमेयं ' इत्यादि। जो कुछ ऊपर कहा गया है वह सब भगवान महावीरद्वारा अपनी बारह प्रकारकी सभाओंमें प्ररूपित हुआ है अतः मुनि इस पूर्वोक्त कथन का सर्व प्रकारसे विचार कर इसे सत्यरूप से ही जाने । अथवा “समत्तमेव" की छाया "समत्वमेव" भी होती है, इसका अर्थ यह है कि पूर्वोक्त कथन भगवान द्वारा ही कथित हुआ है, अतः मुनि सचेल और अचेल इन दोनों अवस्थाओं में समान भावका आसेवनपरिज्ञासे सेवन करे। सू० ३ ।। હોય છે. તે પાંચ સ્થાન આ છે –૧ પ્રતિલેખનાની અલ્પતા, ૨ વિશ્વાસપાત્રતા, ૩ તપને સદુભાવ, ૪ પ્રશસ્તલઘુતા, ૫ પ્રભૂતતર ઈન્દ્રિયની નિગ્રહતા. (સૂ૦૨) સૂત્રકાર આ કથનમાં પોતાની મતિ-અનુસાર કપિતતાનો નિષેધ કરતાં ४९ -“ जमेय" त्यादि. જે કાંઈ ઉપર કહેવાઈ ગયું છે એ બધું ભગવાન મહાવીરદ્વારા બાર પ્રકારની સભાઓમાં પ્રરૂપિત થયેલ છે, આથી મુનિ આ પૂર્વોકત કથનને સર્વ प्रारथी विया२ ४१ याने सत्य३५थी तो. अथवा “ समत्तमेव "नी छाय॥ "समत्वमेव" ५ थाय छे मानो अर्थ से , पूर्वात ४थन सावानk જ કહેલ છે આથી મુનિ સચેલ અને અચેલ આ બને અવસ્થામાં સમાન ભાવનું આસેવનપરિજ્ઞાથી સેવન કરે. (સૂ૦૩) श्री. मायाग सूत्र : 3
SR No.006303
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages719
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size37 MB
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