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(२९ से ३०) प्रातःकाल और सन्ध्याकाल में दिशाएँ लाल रंग की दिखाई दें तब
तक अर्थात् सूर्योदय और सूर्यास्त के पहले और बाद में एक-एक घड़ी
स्वाध्याय नहीं करना चाहिए । (३१ से ३२) मध्य दिवस और मध्य रात्री के आगे-पीछे एक-एक घड़ी इस प्रकार
दो घड़ी स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। उपरोक्त अस्वाध्याय सम्बन्धी नियम मूल पाठ के अस्वाध्याय हेतु हैं, गुजराती आदि भाषान्तर हेतु ये नियम नहीं है । विनय ही धर्म का मूल है तथा ऐसे विकट प्रसंगों में गुरू की अथवा बड़ों की इच्छा एवं आज्ञाओं का अधिक पालन करने का भाव रखना चाहिए ।