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________________ आचार चिन्तामणि- टीका अवतरणा ५७ सुखवीर्यादयः, पुद्गलस्य वर्णगन्धरसस्पर्शादयो गुणाः । 'मात्र' - शब्दोपादनं पर्यायेऽतिप्रसङ्गवारणाय । द्रव्यस्वरूपविचारेण 'गुणसमुदायो द्रव्य' - मिति प्रतीयते, यथा मूलस्कन्धशाखाप्रशाखादीनां समुदायो वृक्षः, तथैवास्तित्व- परिणामित्ववस्तुत्व - ज्ञेयत्व - प्रमेयत्व - प्रदेशवत्त्वादिसामान्यगुणानां चेतनत्व - गतिहेतुत्वस्थितिहेतुत्वाऽवकाशदानहेतुत्व वर्त्तनाहेतुत्व - वर्ण गन्ध - रस स्पर्श - लक्षण है, जैसे- जीव के गुण- ज्ञान, दर्शन, सुख और वीर्य आदि हैं, तथा पुद्गल के गुण वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श आदि हैं । उपर जो 'मात्र' (सिर्फ ) शब्द का प्रयोग किया गया है; वह पर्याय में अतिप्रसङ्ग निवारण करते के लिए है । अर्थात् गुण केवल द्रव्य में होते हैं, पर्याय में नहीं होते । द्रव्य के स्वरूप पर विचार करने से प्रतीत होता है कि गुणोंका समुदाय ही द्रव्य है । जैसे मूल, स्कन्ध, शाखा और प्रशाखा आदि का समूह ही वृक्ष है, उसी प्रकार अस्तित्व, परिणामित्व, वस्तुत्व, ज्ञेयत्व, प्रमेयत्व, प्रदेशवत्त्व आदि सामान्य गुणों का, तथा चेतना, गतिहेतुत्व, स्थितिहेतुत्व, अवकाशदानहेतुत्व, वर्तनाहेतुत्व, वर्ण-रस- गन्ध - स्पर्शवत्त्व आदि विशेष गुणों का समूह ही द्रव्य है । यहाँ यह स्मरण रखना चाहिए कि - विभिन्न द्रव्यों के રહેવું તે ગુણનુ લક્ષણ છે. જેવી રીતે જીવના ગુણ-જ્ઞાન, દર્શન, સુખ અને વી यहि छे. तथा युङ्गसना गुणु-वर्ण, गंध, रस भने स्पर्श याहि छे उपर ने ‘માત્ર’ શબ્દના પ્રયોગ કર્યો છે તે પર્યાયમાં અતિપ્રસંગ નિવારણુ કરવા માટે છે, અર્થાત્ ગુણુ કેવલ દ્રવ્યમાં હાય છે, પર્યાયમાં હાય નહિ, દ્રવ્યના સ્વરૂપ પર વિચાર કરવાથી જણાય છે કે ગુણ્ણાના छे. ने रीते-भूस, स्कुबंध, शामा भने अशामा माहिनो समूह ते પ્રમાણે અસ્તિત્વ, પરિણામિત્વ વસ્તુત્વ, જ્ઞેયત્વ, પ્રમેયત્વ, પ્રદેશવત્ત્વ ગુણ્ણાના, તથા ચેતના ગતિહેતુત્વ, સ્થિતિહેતુત્વ, અવમશદાનહેતુત્વ, વર્તનાહેતુત્વ, વણું, રસ, ગંધ, સ્પવત્ત્વ આદિ વિશેષ ગુણ્ણાના સમૂહ તે દ્રવ્ય છે. અહિં એ યાદ प्र. आ. ८ શ્રી આચારાંગ સૂત્ર ઃ ૧ સમુદાય જ દ્રવ્ય वृक्ष छे, मे આદિ સામાન્ય
SR No.006301
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages781
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size35 MB
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