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________________ आचारचिन्तामणि-टीका अध्य. १ उ.१ सू.५ लोकवादिम० २७९ (४) पञ्चेन्द्रियजीवाःपञ्चेन्द्रियजीवाश्चतुर्धा-नोरक-तिर्यङ्-मनुष्य-देव-भेदात् , नारकाः सप्तविधाः, सप्तनरकेषु समुद्भवात् । रत्न(१)-शर्करा(२)-चालुका(३)-पङ्क(४)-धूम (५)-तमो(६)-महातमो(७)-नाम्न्यः सप्त पृथिव्यस्तत्र सप्त नरकभूमयः, तत्र ये निवसन्ति ते नारकाः सप्तविधा इति । नारकतिर्यङ्मनुष्यदेवानां स्पर्शनरसन-प्राण-चक्षुः-श्रोत्राणि पञ्चेन्द्रियाणि भवन्ति । पञ्चेन्द्रिय-तिर्यञ्चो द्विविधाः- गर्भज-संमूछिमभेदात् । तत्र-गर्भजाः पञ्चधा-जलचर-स्थलचर-खेचरो-र:परिसर्प-भुजपरिसर्पभेदात् । संमूर्छिमा अपि (४) पञ्चेन्द्रियजीवपञ्चेन्द्रिय जीव चार प्रकार के हैं--(१) नारक, (२) तिर्यञ्च, ( ३ ) मनुष्य, और ( ४ ) देव । नारक सात प्रकार के हैं, क्यों कि सात नरकों में उनकी उत्पत्ति होती है। (१) रत्नप्रभा (२) शर्कराप्रभा (३) वालुकाप्रभा, (४) पंकप्रभा, (५) धूमप्रभा, (६) तमःप्रभा और (७) तमस्तमःप्रभा नामक सात पृथिवी हैं। वहाँ सात नरकभूमिया हैं । इन भूमियों में निवास करने वाले नारकी भी सात प्रकार के कहलाते हैं। नारक, पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च, मनुष्य और देवों के स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु, और श्रोत्र, ये पांच इन्द्रिया होती हैं। पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च दो प्रकार के हैं-~-गर्भज और संमूर्छिम । इन में गर्भज के पांच भेद हैं-(१) जलचर, (२) स्थलचर, (६) खेचर, (४) उरःपरिसर्प और (५) भुजपरिसर्प । (४) ५येन्द्रियपाय छन्द्रियो वा ७५ यार ना छ-(१) ना२:1, (२) तिय य, (3) મનુષ્ય, અને (૪) દેવ. નારકીના સાત પ્રકાર છે, કારણ કે સાત નરકમાં તેની उत्पत्ति डाय छे. (१) रत्नप्रभा, (२) शराप्रमा, (3) पाला , (४) ५४प्रमा, (५) धूमप्रमा, (6) तमाममा मने (७) तमस्तम:-प्रभा नामनी सात पृथिवी छ. ત્યાં સાત નરકભૂમિઓ છે. તે નરકભૂમિએમાં નિવાસ કરવા વાળા નારકી પણ सात प्रा२ना उपाय छे. ना२४ी, पयन्द्रिय-तियय, मनुष्य, मने देवाने स्पर्शन, રસના ઘાણ, ચક્ષુ અને શ્રોત્ર, આ પાંચ ઇન્દ્રિય હોય છે. यन्द्रिय ति य में प्रा२ना छ-(१) गल, (२) सभूछि भ. तेभi Tara पांय ले :-(१) reयर, (२) स्थसयर, (3) मेयर, (४) ७२:५रिस५, भने શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૧
SR No.006301
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages781
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size35 MB
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