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________________ आचाराङ्गसूत्रे शब्दोऽन्धकार उद्योतः प्रभा छाया आतप इति वा । वर्णरसगन्धस्पर्शाः पुद्गलानां तु लक्षणम् । इति च्छाया । १०४ " छायाऽऽतवृत्ति" इत्यत्र 'इति' शब्द आद्यर्थकः । तेनैव वर्णादीनां ग्रहणेऽपि पुनरुपादानं नित्यसहभावित्वबोधनार्थम् । तत्र वर्णः पञ्चधा, कृष्ण - नील लोहित - पीत-शुक्र- भेदात् । गन्धो द्विविधः - सुरभिरसुरभिश्च । रसः पञ्चविधः - तिक्तकटुकषायाम्ल - मधुर - भेदात् । स्पर्शोऽष्टधा - कठिन-मृदु-गुरु-लघु-शीतोष्ण स्निग्ध- रूक्ष - भेदात् । संस्थानं पञ्चविधम्-वृत्त - त्र्यस्र - चतुरस्र - ऽऽयत - परिमण्डल - भेदात् । पुद्गलविभाग: पुद्गलः संक्षेपतो द्विविधः - परमाणु- स्कंधभेदात् । वर्ण पांच प्रकार का है - काला, नीला, लाल, पीला, और सफेद | सुगन्ध दुर्गन्ध के भेद से गन्ध दो प्रकार का है । रस के पांच भेद हैं-- तीखा, कडुआ, कषैला, खट्टा, और मीठा । स्पर्श के आठ भेद हैं-- कठिन, कोमल, भारी, हल्का, शीत, उष्ण, चिकना, और रूखा । संस्थान पांच प्रकार का है - वृत्त ( गोल ), त्र्यख ( तिकोना ), चतुरस्र ( चौकोर ), आयत ( लम्बा ) और परिमण्डल - ( गोल-मटोल ). पुद्गल के भेद संक्षेप से पुद्गल के दो भेद हैं- परमाणु और स्कन्ध | वर्षा यांय अझरना छे-अणो, सीसो, सास, पीणो भने घोणे. सुगंध मने दुर्ग घना लेहथी गंध में अारना छे रसना पांच लेह छे- तीथे, उडवो, उषायेसो, माटो रमने भीठो, स्पर्शना मा लेह छे-४४णु, अभस, लारी, उसओ, शीत, उष्णु, ચિકણા અને રૂક્ષ સંસ્થાન પાંચ પ્રકારનાં છે–વૃત્ત-ગાળ, ત્રિકાળુ, ચતુષ્કાણુ, લાંબુ' અને ગેાળમટોળ, પુદ્ગલેના ભેદ संक्षेपथी युद्दगाना मे लेह छे - (१) परभागु भने (२) २४६. શ્રી આચારાંગ સૂત્ર ઃ ૧
SR No.006301
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages781
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size35 MB
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