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________________ स्वयं को तैयार कर सकता है। इस प्रकार अपनी वेदना को कम कर सकता है। भविष्य-दर्शन का यह एक मुख्य प्रयोजन है। तीर्थंकर त्रिकालदर्शी होते हैं। सृष्टि का एक भी रहस्य, एक भी अणु उनके अनन्त ज्ञान से बाहर नहीं होता। तीर्थंकर-वाणी वस्तुत: त्रिकाल का दर्पण हुआ करती है। जो त्रिकाल का दर्पण हो, उसमें सभी के सभी प्रश्नों व समाधानों का प्रतिबिम्बित होना स्वाभाविक है। इन प्रतिबिम्बों को जानना और समझना सम्भव है। हम भी अपने उपयोग को एकाग्र कर अपनी समस्या या प्रश्न का समाधान पा सकते हैं। भविष्य को जान सकते हैं। 'उत्तराध्ययन सूत्र' भगवान् महावीर की अंतिम वाणी है। त्रिकाल का निर्मल दर्पण है। इस में भविष्य को देखा जा सकता है। यह कैसे सम्भव है? इसकी विधि क्या है? पूज्य गुरुदेव योगिराज के मुखारविन्द से मुझे यह भी सुनने का सुअवसर मिला। वह यहां प्रस्तुत है सर्वप्रथम अपने मन में जो शंका/समस्या या प्रश्न हो उसे गम्भीरता से स्थिर कर लें। इसके बाद आसन बिछा कर पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठना चाहिए। तत्पश्चात् शासनपति भगवान् महावीर को वन्दन कर, ध्यान में पांच बार नमोकार मन्त्र पढ़ें। फिर 'उत्तराध्ययन सूत्र' के छत्तीस अध्ययनों तक कोई एक संख्या सोच लें। सोची गयी संख्यानुसार अध्ययन निकाल कर यह देखना चाहिये कि उस अध्ययन में कितनी गाथायें हैं। उन गाथाओं की संख्या तक पुनः एक कोई भी संख्या सोचनी चाहिये। जो संख्या सोची है, अब वह गाथा निकाल कर उसका अर्थ पढ़ें। अर्थ गम्भीरता के साथ मनन करें। यह अर्थ ही आप के मन के प्रश्न का उत्तर होगा। उदाहरण के लिये किसी व्यक्ति ने कार्य सिद्धि के लिये विचार किया और उपरोक्त प्रक्रियानुसार उसने 15 वें अध्ययन की 14वीं गाथा सोची। इस गाथा का भाव है- "संसार में देव, मनुष्य, तिर्यन्च सम्बन्धी अनेक भीषण, रौद्र शब्द होते हैं। उन शब्दों को सुनकर जो भयभीत नहीं होता वह भिक्षु है।" इस गाथा के अनुसार व्यक्ति के प्रश्न का समाधान इस प्रकार होगा-उस व्यक्ति के कार्य में अनेक बाधायें हैं परन्तु उनसे भयभीत नहीं होना चाहिये! संकल्प की ओर आगे बढ़ना चाहिये। १५४ उत्तराध्ययन सूत्र
SR No.006300
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year1999
Total Pages922
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size125 MB
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