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४०. जो (पुद्गल) स्पर्श से स्निग्ध होता है, वह वर्ण, गन्ध, रस व
संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय है।
४१. जो (पुद्गल) स्पर्श से रुक्ष-रूखा होता है, वह वर्ण, गन्ध, ररा
व संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय होता है।
| ४२. जो (पुद्गल) संस्थान से परिमण्डल (चूड़ी की तरह गोल) होता
है, वह वर्ण, गन्ध, रस व स्पर्श (की दृष्टियों) से भजनीय है।
४३. जो (पुद्गल) संस्थान से वृत्त (गेंद की तरह गोल) होता है, वह
वर्ण, गन्ध, रस व स्पर्श (की दृष्टियों) से भजनीय है।
४४. जो (पुद्गल) संस्थान से त्रिकोण होता है, वह वर्ण, गन्ध, रस
व स्पर्श (की दृष्टियों) से भजनीय है।
४५. जो (पुद्गल) संस्थान से चतुष्कोण होता है, वह वर्ण, गन्ध, रस
व स्पर्श (की दृष्टियों) से भजनीय है।
४६. जो (पुद्गल) संस्थान से आयत (दीर्घ) होता है, वह वर्ण, गन्ध,
रस व स्पर्श (की दृष्टियों) से भजनीय है।
अध्ययन-३६
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