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३३. जो (पुद्गल) रस से मीठा होता है, वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श व
संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय होता है।
३४. जो (पुद्गल) स्पर्श से कर्कश-कठोर होता है, वह वर्ण, गन्ध,
रस व संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय है।
३५. जो (पुद्गल) स्पर्श से मृदु-कोमल होता है, वह वर्ण, गन्ध, रस
व संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय है।
३६. जो (पुद्गल) स्पर्श से गुरु-भारी होता है, वह वर्ण, गन्ध, रस
व संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय है।
३७. जो (पुद्गल) स्पर्श से लघु-हलका होता है, वह वर्ण, गन्ध, रस
व संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय है।
३८. जो (पुद्गल) स्पर्श से शीत-ठंडा होता है, वह वर्ण, गन्ध, रस
व संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय है।
३६. जो (पुद्गल) स्पर्श से उष्ण-गर्म होता है, वह वर्ण, गन्ध, रस
व संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय है।
अध्ययन-३६
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