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१६. (स्कन्ध आदि रूपी अजीव पुद्गल द्रव्यों में) जो स्पर्श से परिणत
होते हैं, ये आठ प्रकार के कहे गये हैं - (१) कर्कश (कठोर), (२) मृदु (३) गुरु (भारी), (४) लघु (हल्का ),
२०. (५) शीत, (६) उष्ण, (७) स्निग्ध (चिकना) और (८) रुक्ष-इस
प्रकार स्पर्श-परिणत पुद्गगलों का कथन किया गया है।
२१. जो (पुद्गल) संस्थान से परिणत होते हैं, वे पांच प्रकार के कहे
गये हैं- (१) परिमण्डल (चूड़ी के समान गोल), (२) वृत्त (गेंद की तरह गोल), (३) त्र्यम्स (त्रिकोणाकार), (४) चतुरन
(चतुष्कोण), और (५) आयत (लम्बे)। २२. जो (पुद्गल) वर्ण से कृष्ण होता है, वह गन्ध, रस, स्पर्श और
संस्थान (की दृष्टियों) से 'भजनीय' (अपेक्षित स्थितियों से सम्बन्धित अनेक विकल्पों के आधार पर अनेक स्वरूप वाला)
होता है। २३. जो (पुद्गल) वर्ण से नीला होता है, वह गन्ध, रस, स्पर्श और
संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय होता है।
२४. जो (पुद्गल) वर्ण से लोहित (रक्त) होता है, वह गन्ध, रस, स्पर्श
और संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय होता है।
२५. जो (पुद्गल) वर्ण से पीत (पीला) होता है, वह गन्ध, रस, स्पर्श
और संस्थान (की दृष्टियों) से भजनीय होता है।
अध्ययन-३६
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