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________________ कारण साधक-जीवन में आठों प्रवचन-माताओं का आत्यंतिक महत्त्व है। विवेक को यदि आत्मा मान लें तो आठ प्रवचन-माताओं से युक्त साधना उसका शरीर होगी। दूसरे शब्दों में यह साधना ही साधक की मां होगी, जो उसके अस्तित्व की अनिवार्यता है। अहिंसा के प्रकाश में यह साधना सम्भव व सम्पन्न होती है। अहिंसा ही सम्यक् आचार का प्रतिमान है। विवेक वस्तुत: अहिंसा-बोध ही है। साधक द्वारा विवेक से आना-जाना 'ईर्या समिति' का पालन करना है। असत्य, कठोर व अहितकारी भाषा न बोलना 'भाषा समिति' का पालन करना है। आहार, स्थान व अन्य आवश्यक वस्तुओं को ग्रहण करने में आगम-वर्णित मर्यादाओं का पालन करना 'एषणा समिति' है। वस्तुओं को विवेक से उठाना-रखना व उपयोग करना 'आदान-निक्षेप' के अन्तर्गत आता है। मल-मूत्र-विसर्जन व अनुपयोगी पदार्थों को परठते हुए विवेक से संचालित होना -परिष्ठापना समिति' कहलाती है। पांचों समितियों का उद्देश्य पूर्णत: अहिंसक व्यवहार करना है। मन से सभी पापों का पूर्ण निवारण मनोगुप्ति है। वचन को अशुभत्व से मुक्त रखना वचन-गुप्ति है। कर्मों को पाप-स्पर्श से दूर रखना काय-गुप्ति है। तीनों गुप्तियों का उद्देश्य प्रत्येक पाप की प्रत्येक आशंका से अपने जीवन को सुरक्षित रखना है। पांच समितियां व तीन गुप्तियाँ साधक-जीवन का मूल-आचार हैं। इन आठों प्रवचन-माताओं का गहन विवेचन प्रस्तुत अध्ययन में किया गया प्रवचन-माताओं के आत्यंतिक महत्त्व का एक और पक्ष यह है कि इनका पालन किये बिना आज तक कोई भी सिद्ध, बुद्ध और मुक्त न हुआ। दूसरी ओर जैन इतिहास में ऐसे महापुरुष हो चुके हैं, जिन्हें द्वादशांग की स्वाध्याय करने का अवसर नहीं मिला परन्तु इन प्रवचन-माताओं के ज्ञानाधार पर जो सिद्ध, बुद्ध और मुक्त हो गये। मुनि गजसुकुमाल ऐसे ही महापुरुषों में से एक हैं। प्रस्तुत अध्ययन में किया गया धर्म-मार्ग का सुस्पष्ट व सर्वांगपूर्ण विवेचन श्रमण जीवन का आधार तो है ही, वांछनीय जीवन-पद्धति भी है। इस दृष्टि से अन्य सभी वर्गों के लिये वांछनीय जीवन प्रदान कर सकने की पूर्ण क्षमता रखने के कारण भी इस अध्ययन की स्वाध्याय मंगलमय है। 00 अध्ययन-२४ ४५६
SR No.006300
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year1999
Total Pages922
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size125 MB
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