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तेरहवां अध्ययन : चित्रसम्भूतीय
१. हस्तिनापुर में ('सम्भूत मुनि' ने) (अपनी नीच) जाति के कारण
पराजित (तिरस्कार व अपमान की अनुभूति से प्रभावित) होते हुए, 'निदान' (विषय-सुख की इच्छा से चक्रवर्ती बनने का आर्त ध्यान-रूप संकल्प) किया था, (फलस्वरूप) पद्म-गुल्म (नामक देव-विमान) से (च्यव कर) ब्रह्मदत्त के रूप में चुलनी (रानी की
कोख) में उत्पन्न हुआ। २. 'सम्भूत' ('ब्रह्मदत्त' के रूप में) काम्पिल्य (नगर) में पैदा हुआ,
और (उस के भाई) 'चित्र' ने पुरिमताल में विशाल श्रेष्ठि-कुल में ('गुणसार' नाम से) जन्म लिया, (किन्तु वह) धर्म-श्रवण कर (श्रमण-दीक्षा हेतु) प्रव्रजित हो गया।
३. (पूर्व जन्म के भाई) 'चित्र' व 'सम्भूत' (-इन) दोनों ही का
'काम्पिल्य' नगर में (संयोगवश) समागम हुआ। वे (दोनों) एक दूसरे के (पुण्य-पाप कर्मों के) सुख-दुःख रूप फल-विपाक के सम्बन्ध में बातचीत करने लगे।
४. महान्-ऋद्धियों से सम्पन्न, महायशस्वी चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त ने
(अपने पूर्व जन्म के बड़े) भाई (गुणसार नामक मुनि) को अत्यन्त आदर से यह वचन कहे -
अध्ययन-१३
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