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'उत्तराध्ययन सूत्र' भगवान् महावीर की अंतिम देशना है। जैन धर्म का मर्म है। जैन धर्म में इसका वही महत्त्व है
जो बादलों में नीर का, पुष्पों में पराग- कोष का एवं दिन के लिए सूर्य का है। जैनत्व का ज्ञानविज्ञान, आचार-विचार एवं साधना - साध्य आदि सम्पूर्ण ज्ञान यदि कोई जिज्ञासु एक ही स्थान पर समग्रतः प्राप्त करना चाहे तो उसके लिए एक ही शास्त्र ज्ञान - कोष के समान पर्याप्त है और वह है— 'उत्तराध्ययन सूत्र' ।