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तृतीयशाखा-धर्मध्यान. २३१ जाते हैं. .. (५) संध्या [श्याम] की वक्त बहुदा आकाशमें संध्याराग [विचित्र रंग] का दर्शाव होता है, और क्षि णत्रमें अन्धकार फेलजाता है..
... इत्यादी अनित्यता दर्शानेके अनेक बनाव हमेशा बनते हैं. और देखते है, परं मोहकी धुन्धी मै मुग्ध बने,.. कौन विचार करें !! ............
एक समय राज्यारूढ महोत्सव की धामधूमः लग्नका उत्सहा द्रष्टी पडता है; और उसी स्थल उसही समय, पुद्गलोंका रूपांतर होनेसे मृत्युआदी निपजनेसे हाहाकार मच जाता है स्मशान गमनकी तैयारी होती कों, क्या नहीं देखते हैं ? ऐसे २ अनित्यता ब.. तानेके जक्त में थोडे साधन हैं क्या? . ..... ..... ज्यादा क्या कहूं, जिन २ प्रमाणुंओ पदार्थों कर तेरे सरीरकी रचना हुइ, और पोषणता.होती हैं, वेही. प्रमाणुं गये कालमें तेरे शत्रु बन तेरे धारण किये हुये अनंत सरीरोंका नाश किया था, की उनके साथ तूं अत्यंत प्रेम करता है. और वक्त पडे, येही तेरे सरीर के घातक बन जायँगे मतलबकी पुद्गल संयोगसेही ससम्बन्ध जुडता हैं. और संयोगसेही विखरता है. ..
श्री भगवतीजी सूत्रमें 'अविचय' मरण कहा