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___२२६ ध्यानकल्पतरू. मे गर्क हो रहे है, यह बड़ा आश्चर्य है.
इस सरीरका नाम उदारिक है. इसके दो अर्थ करते हैं. (१) उदार, प्रधान, और (२) उदारा मांगके लिया, जैसे पंचायती जगा, क्रिया वर करने के लिये, पंचोंसे मांगके थोडे कालके लिये उदारी लेते: हैं, और उसे सिणगार के उस्में जो क्रियावर करनेका है वो कर लेते है, तो उनको वो जगा छोडती वक्त पश्चाताप नहीं होता है, और जो क्रियावर हुये पहले मुद्दत पूरी हुये, पंचोंके सिपाइ मकान खाली करते है. तब रोना पडता है की, कुछ नहीं किया, ऐसेही यह सरीर (पंच भूत वादी के कथनानुसार) पृथव्यादी पंच भूतोका बना हुवा सरीर रूप बाडा क्रियावर (अच्छी क्रिया धर्म करणी) करने को मिला. जो धर्म करणी कर लेते हैं, उनको मरती वक्त पश्चाताप नहीं. होता है. और करणी नहीं करी है, उनके सरीर को , काल छोडावेगा, तब पश्चाताप साथ छोडना पडेगा. ऐसा जाण इस क्षिण भंगूर सरीरसे. धर्म करणी बने
___ + पिता ने खुशी में आके पुत्रीसे कहा की लक्ष्मी इधर आ तब पुत्री गुस्सेमें कहने लगी पिता श्री इसनामसे मुजे कदापी न बुलाइये. में लक्ष्मी जैसी नीच नही हुवी एक निदमें अनेक मालक (पती)वनावू.