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________________ ध्यानकल्पतरूकी अनुक्रमणिका विषय ___ पृष्ट | विषय मङ्गला चरणम् .... .... रौद्रध्यानके पुष्प और फल.... ४९ भूमिका .... .... . ... २ उपशाखा-शुभध्यान.... .... स्कन्ध और शाखा .... .... ३ प्रथमशाखा ध्यान मूल .... ५३ अशुभ ध्यान .... .... ४ पंचलब्धी काश्वरूप.... ... प्रथम शाखा आर्तध्यान.... ....५ द्वितीय उपशाखा-शुभ ध्यानविधी प्रथम प्रतिशाखा आतध्यान केभेद....५ प्रथम पत्र क्षेत्र........ .... प्रथम पत्र-अनिष्ट संयोग.... ....६ द्वितीय पत्र द्रव्य .... .... द्वितीयपत्र-इष्ट संयोग..... .... ७ तृतिय पत्र-काल .... .... तृतीय पत्र -रोगोदय.... .... ९चतुर्थ पत्र-भाव ४.... .... चतुर्थ - पत्र मोगिच्छा.... ..."११ शुभ ध्यानस्य फल.... द्वितीय शाखा आर्तध्यानके लक्षण१३ तातिय शाखा धर्मध्यान प्रथम पत्र-कंदणया.... .... १४ प्रथम प्रतिशाखा धर्मध्यानके पाये द्वितीय- पत्र-सोयणया.... ....१४ प्रथमपत्र आज्ञाविचय तृतीय- पत्र-तिप्पणया .... ....३५ सुत्रार्थ .... .... ... चतर्थ पत्र-विळवणया.... ....१५ मार्गणा .... .... आतध्यानके पुष्पफल.... ....१६ ५महा व्रत ... द्वितीय शाखा-रौद्रध्यान.... ....२१ १२भावना प्रथम प्रतिशाखा रौद्रध्यानके भेद२१ पंचइन्द्रीयोपशमता.... .... प्रथमपत्र- हिंशान बन्ध .... २२ दयाद्रभाव.... .... द्वितिय पत्र-मृषानुबन्ध .... ३० बन्ध - .... तृतिय पत्र तस्करानुबन्ध ... ३५ मोक्षगमन.... .... चतुर्थपत्र-मरक्षण .... .... ३९ गतिगमन.... .... .... ११७ द्वितीय प्रतिशाखा-रौद्रध्यानींके लक्षण४३ ५७हेतू.... .... .... ११८ प्रथम पत्र-उपण दोष .... ४४५ प्रमाद .... .... १२८ द्वितीय-पत्र बहुल दोष .... ४६ द्वितीय पत्र-अपाय विचय चैतन्य और तृतिय पत्र अज्ञान दोष .... ४७ कर्मका युद्ध.... .... ....१३३ चतुर्थ पत्र-अमरणांत दोष .... ४८तृतीय पत्र विपाक विचय१८१कर्म ....... Murr o rrrr
SR No.006299
Book TitleDhyan Kalptaru
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherKundanmal Ghummarmal Seth
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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