________________
१०२
ध्यानकल्पतरू.
जीवको रोकके, मोक्ष स्थान में पहोंचावे सो धर्म कहा जाता हैं. मोक्षार्थीको धर्मकी बहुत अवश्यकता हैं, वो धर्म कौनसा ? जैन कहे - “धम्मो मंगल मुक्कीठं, अहिंसा संजमोतवो" अर्थात मंगलकाकती, सर्वसें उत्कृष्ट धर्म वोही है की जो अहिंशा (दया) संयम (इन्द्रीय दमन) और तप करके संयुक्त होए. वेद कहते है" अहिंशा परमोधर्मः” अर्थात् परमोत्कृष्ट धर्म वोही है की जहां अहिंशा (दया) ने सर्वांग निवास किया हैं. पुराण कहते हैं- “अहिंशा लक्षणो धर्मः अधर्मः प्राणी नां बधः" अर्थात अहिंशा (दया) है सो धर्मका ल क्षण और हिंशा हैसो अधर्म हैं. कुरान कहते हैं. "फला तजअन् कुंम मकावरलहय वनात" अर्थात तूं पशु पक्षीकी कबर तेरे पेटमें मतकर. बाइबल कहते हैं" दाउ शाल्ट नोट कील” (Thou shalt not kill)अतूं हिंशा करे मत. इत्यादि सर्व शास्त्रोंमें धर्मका मूल 'दया' ही फरमाया हैं. दयाके दो भेद, १ परदया तो छे काय जीवकी रक्षा करना, और २ स्वदया सो अ पनी आत्मको अनाचीर्ण (कुकर्मों) से बचाना, की जिससे अपणी आत्मा, आगमिक कालमें, सर्व दुःखसे छूट मोक्षके अनंत अक्षय सुखकी प्राप्ता करे.
यह १२ ही भावना, मुमुक्षु प्राणीयोंकों मोक्ष