________________
5555 %%%%%%%%
%
%%
55 5 도도도 도트 5
पुरोवाक
听听听听听听听听听听听听听听听听听听听
5
इस दुनिया में अशांति व तनाव का जो वातावरण है, उसका प्रमुख कारण है-सत्य को न जानना। सारी कठिनाइयों व समस्याओं का मूल है-सत्य की जानकारी न होना । सत्य का। यथार्थ दर्शन ही वह प्राथमिक भूमिका है जहां से आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। भगवान् महावीर ने कहा- सच्चं खी भगवं (प्रश्नव्याकरण- 2/2), अर्थात् सत्य ही भगवान् है। सत्य का दर्शन भगवान् का साक्षात्कार है। सत्य और भगवान् की समता का सम्भवतः एक कारण यह है कि जैसे भगवान निर्विकार होते। हैं, वैसे ही सत्य का स्वरूप भी निर्विकार व पक्षपातहीन होता है। राग-द्वेष के विकार सत्य पर असत्य की कलंकित छाया (आवरण) , डाल देते हैं और सत्य के यथार्थ दर्शन में बाधक बनते हैं। विकारग्रस्त व्यक्ति को सत्य का दर्शन नहीं हो पाता। वह कभीकभी असत्य को सत्य और सत्य को असत्य समझ बैठता है।
+
+
+
+
+
+
+
+
+
+
+
+
सत्य के दर्शन में बाधाएं
कोई भी वस्तु स्वयं में अच्छी या बुरी नहीं होती। वस्तु का मात्र वस्तु रूप होना 'सत्य' है। किन्तु सांसारिक व्यक्ति.. परागवश उसे अच्छा मानता है। जब कि द्वेषवश दूसरा व्यक्ति उसे .
+