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________________ नाम अनेक तुझ ठाम ठामि रे, कहता न लहुं पार । प्रणमि प्रह उठी सदा रे, धन धन तस अवतार, हो भवियां-पूजो०॥२८॥ पास जिणेसर तुम तणा रे, एणि कलिजुग आधार । सेवा लहीइ जो ताहरी रे, तो सही पाम्या पार, हो भवियां-पूजो०॥२९॥ पांडव बा ण र स चंद्र मा रे, ए संवत नु मान । आसो सुदि दसमी दिने रे, वार गुरु प्रधान, हो भवियां-पूजो०॥३०॥ त्रिभोवन तिलक त्रंबा व ती रे, जिहां श्रीथंभन पास । अ क ब र पुर माहि प्रेम वि ज य रे, रच्यु अति मन उहोलास, हो भवियां-पूजो०॥३१॥ कलस इति वणि सि पांसठि पास जिननी नाममाला मनोहरु, . जे भाव भणसि अनै सुणसि, तास घरि आणंद करु । तपगच्छ श्री विज य से न राजा वि मल हरी प वाचक वरु, र त्न हर्ष बंधु प्रेम बोलि पास जिनेसो भरु ॥३२॥
SR No.006296
Book TitleTran Prachin Gujarati Krutio
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSharlotte Crouse, Subhadraevi
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1951
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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