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रंगरेजो बुलाय । रंगाओ नेमीश्वर चून्दडीजी ॥१॥ पांच रुपया रो पोत मंगावजो जी,
हाडोती हल्दी मंगाय । रंगाओ॥२॥ शोरिया पुर सुंबंधारो बुलावजो जी
तो नानी-नानी बंदना बंधाय ॥३॥ कुण सा चुन्दड मोलवे जी,
वे तो कुण सा खर्चेला दाम ॥४॥ उग्रसेन जी चुन्दड मोलवेजी,
समद्रविजयजी खर्चेला दाम ॥५॥
नेमीश्वर ले घर आवियाजी,
ओढ़ सती राजुल नार । रंगाओ ॥६॥ ओढ़ पहरने राजुल नोसर्याजी,
आया है मथुरा रे बाग । रंगाओं ॥७॥ संजम राजुल आदर्योजी,
पाया है केवल ज्ञान ॥८॥ चौपन, दीनो का आंतरा जी पिऊ पहले पहुंच्या निर्वाण,
रंगाओ नेमीश्वर चून्दडोजी ॥९॥
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