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आज तो बधावो वसुभूति के दरबार रे। पथ्वीदेवीजी बेटो जायो गौतम कुमार रे। आज तो बधावो वसुभति रे दरबार रे ॥
॥ चौवीसी ।। (तर्ज---तपस्या री केशर गुल रह्यो) जिनजी पहला ऋषभनाथ वंदस्यां, जिनजी दूजा अजितनाथ चन्दस्यां, जिनजी तीजा संभवनाथ वंदस्यां, जिनजी चौथा अभिनन्दन वंदस्यां,
जिनजी पांचमा सुमितनाथ वंदस्यां, जिनजी छछा पदमप्रभु देव के तपस्वारी के तर गलरह्यो वास करने वेला करूं, मारामा अठायारां चढता परिणाम अढाई देवो पदचाप, तपस्या री केसर गुल रह्यो ।
। वच्छ गजा की भावां ।। ।। नवकार मन्त्र की महिमा ।।
(तर्ज- नवकुल राजाजी रो डोकरी) . नवकुल राजाजी री डीकरी, नवलादेवी वारी माताजी, पद्मकुमारी दीपती बाई, ताराचन्दजी है भाईजी ॥१॥ मथुरा नगरी का राजवी, दच्छ राजा
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