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रे साकिया, अध बीच चाँद कोरायजो ॥३॥ दिल्ली शहर को पोत मंगायजो, नानी सी बंदन बंदायजो । बिन्दली रे वीरा लाल जडायजो, मुन्दड़ी में रतन जडायजो ॥४॥ साला बहनोई जयजिनेन्द्र बोलीजें, आतम कारज सारीजे कहे हीरालालजी सुन बहन सुमति, श्रीमुख गुण गायजो ॥५॥ इति ॥
॥ मेहन्दी ॥ (तर्ज :-सूती ने स ना आयो माहरी सैयां ए) सूती ने सपना आयो माहरी सैयां ए, जागती तो विनीता में जाती माहरी सैयां ए, वनिता में आदिनाथ विराज्या माहरी सैयां ए, आदिनाथ रे पिछवाडे वाडी माहरी सैयां ए, वाडी में केसर बवाऊं माहरी सैयां ए, वाडी में मेहन्दी बवाऊं माहरी संयां ए, मोरादेवीजी रे हाथ मंडावो माहरी सैयां ए, आदिनाथजी रे तिलक कढावो माहरी सैयां ए।
सती ने सपना आयो माहरी सैयां ए, जागती तो हस्तिनापुर में जाती माहरी सैयां ए, हस्तिनापुर में शान्तिनाथ विराज्या माहरी सैयां ए, शान्तिनाथ जी रे पिछवाडे वाड़ी माहरी सैयां ए, वाडी में केसर बवाऊं
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