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॥ हथनी ।। (तर्ज-हथनी माहरो मलकती चाली तो)
आ हथनी माहरी मलकंती चाली तो, समुद्र माहीं चाली तो, पांच कलश लेने नीरिजी ॥१॥ पहलो तो कलश वनिता में मेलयो तो, वनिता में मेलयो तो, वनिता में आदिनाथ जनमियोजी ॥ आदि-नाथ जनम्या बड़ो उपकार तो, भलो उपकार तो, ज्यां देवां धर्म प्रकाशियाजी ॥२॥ दूजो तो कलश हस्तिनापुर में मेलयो तो, हस्तिनापुर में मेलयो तो, हस्तिनापुर में शान्तिनाथ जनमियाजी, शान्तिनाथ जन्म्या बड़ो उपकार तो, भलो उपकार तो, ज्यां देवा शान्ति वरतावियाजी ॥२॥ तीजो तो कलश सोरियापुरमें मेलयो तो, सोरियापुर) मेलयो तो, सोरियापुर में नेमिनाथजी जनमियाजी, नेमिनाथ जनम्गा बड़ो उपकार तो, भलो उपकार तो, ज्यां देवा पाव छुडावियाजी ॥३॥ चौथो तो कलश बणारसी में मेलयो तो, बणारसी में मेलयो तो, बणारसी में पार्श्वनाथ जनमियोजी ॥ पार्श्वनाथ जनम्या बड़ो उपकार तो, भलो उपकार तो, ज्या देवा कमठ हठावियाजी ॥४॥ पांचमो तो कलश कुण्डलपुर में मेलयो तो, कुण्डलपुर में मेलयो तो, कुण्डलपुर में
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