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थारे पुत्र होसीजी अमीवंत, अंगूठे अमी झरसीजी ॥८॥ सातमो सूरज रानी थे दीठाजी, थारे पुत्र होसीजी तेजवंत घणो यश पावसीजी ॥९॥ ध्वजा रो सपना रानी थे दीठाजी, थारे पुत्र होसीजी ध्वजावंत, ध्वजा आगे चाल सीजी ।।१०।। कुंभ कलश रानी थे दीठाजी, थारे पुत्र होसीजी कुलवंत घणा कुल दीपावसीजी ॥११॥ पद्म सरोवर रानी थे दीठाजी, थारे पुत्र होसीजी पदवीवंत, तीर्थकर पदवी पावसीजी ॥१२॥ क्षीर समुद्र रानी थे दीठाजी, थारे पुत्र होसीजी क्षमावंत, देवां मांही सोवसीजी ॥१३॥ देवधिमाण रानी थे दीठाजी, थारे पुत्र होसीजी महावीर, चौंसठ इन्द्र सेवा करेजी ॥१४॥ रत्नांरी राशि रानी थे दीठाजी, थारे पुत्र होसीजी, रिद्धिवंत, द्विगुणी-तिगुणी सिग चढ़ेजी ॥१५॥ अग्नि शिखा रानी थे दीठाजी, थारे पुत्र होसीजी चारित्रवंत, चारित्र त पालसीजी॥१६॥ पंडित ने दक्षिणा दीनीजी, काई दोनो घणो सन्मान सोनो दीनो सोलमोजी ।।१७।।
। तीनरी ढाल । (तर्ज : रानी ने पहलो डोहला उपन्योजी, रानी रा धूकतडा)
त्रिशलादेवी जी बैठा महल में जी, वाने डोहलो उपन्यो मन माय, सिद्धारथ ने वीनवेजी ॥१। रानी ने