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________________ || चौदह स्वप्न || ( पहली ढाल, तर्ज : शारद माता नम् सिरनामी) नमुंजी शारद नाम तुम्हारा, अक्षर ज्ञान देवो मुझ सारो || १ || चौदह सपना त्रिशलादेवी ने देख्या, इन सपना से करोनी विचारो ||२|| सोवन पलंग पोड्या पटराणी, सपना देख्या इण विध जानी ॥३॥ पहला गयवर दन्ताजी देख्या, दूजे ऋषभ घूघर, माल घंटा बाजन्ता ||४|| तीजे सिंह सुलक्षणोजी, वन खण्ड माय फिरे रे अकेलो ॥ ५ ॥ चौथे दीठा लक्ष्मी, ओस्वामी मलकंती माता री चाल सुहावे || ६ || पांचमो पंच वर्ण की माला, कमल फूलांरी मालजी दीठी ||७|| छट्ठे सपना चन्द्र जो देखी, अमिय झरंता दोठाओ स्वामी ||८|| सातमो सूरज देख्या ओ स्वामी, सहस्र किरण रा दिनराज विराजे ||९|| आठमो दोठा ध्वजा ओ स्वामी चारों दिशां में लेरांजी लेवे ॥ १० ॥ नवमां सपना दीठा ओ स्वामी, कुंभ कलश गल फूलांरी माला ॥११॥ पद्म सरोवर देख्या ओ स्वामी, कमल भरयो तिण मांय ॥ १२ ॥ क्षीर समुद्र देख्या ओ स्वामी, क्षीर को जैसो नीर ओ स्वामी ||१३|| देवविमानिक दोठा ओ स्वामी, रुणझुण घंटा बाजे ||१४|| रत्नांरी राशि दीठा ओ स्वामी, " 19
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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