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जी, काई शासन रा सिरदार के राज बधाओजी ॥२४॥ गावतडा सुख ऊपजे बधाओ जी, कांई सुणियां रो परम कल्याण के राज बधाओ जी ।।२५॥ थे तो गावोनी मंगल चार के गज बधाओ जी कांई होसी जय-जय कार के राज बधाओ जी ॥२६॥
। पतामा । तर्ज : छोटी वय में दिक्षा धाग, हुआ पड़ित भारी) त्रिशलादेवीजी रो आयो रे बुलावो, जब हुई तैयारी, पतासा दे देना, दे देना ।। ।। ज्ञान भी देना, ध्यान भी देना, तपस्या देवो पचखा ॥ पतासा दे देना, दे देना ॥१॥ सूत्र भी लाई, चौपाधियाँ भी लाई, माला लायी दोय चार ॥२॥ काम छोड़ स्थानक में आई, सामयिक दोय चार ॥३॥ भायां भी आया, बायां भी आई, वन्दना करूं बारम्बार ।।४। मंगलीक देवो पचखान करावो, दर्शन करां बारम्बार ।।५।।इति।।
|| विनादिक गीत ॥ .. (तसं : कातो आयो मेढ़ना ने उत र यो ए रंग भगय । .. कोति पसरी देश में जी, पसरी परदेश मांय । केसरिया तिलका शान्ति लालजी, आवोनी घर मांय ॥१॥ जाऊं-जाऊं कांई करो थे, बैठोनी जाजम बिछाय ।
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