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मन मोहन मूरत आप तणी,
हो बालब्रह्मचारी स्वामी । और चेहरा दमक-दमक करता,
पूज्य अमोलक ऋषिजी स्वामी का ॥४॥ कर करके गमन भमण्डल में,
खूब धर्म उद्योत किया । गुण युक्त नाम है इस जहाँ में,
पूज्य अमोलक ऋषिजी स्वामी का॥५॥ है जैन . धर्म के विचक्षण ।
. श्रोता सब ध्यान लगा सुनलो । मैं आशीर्वाद चाहती हूँ।
पूज्य अमोलक ऋषिजी स्वामी का॥६॥
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