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________________ भवियन ॥४॥ सूरी रो जाया हो तो सूरमा, करे ऐसो काम हो भवियन, समण हजारीमल इम कहे, फिर नहीं आवे गर्भवास हो भवियन ॥५॥ ॥ पूज्य गुरुदेव श्री अमोलक ऋषिजी महाराज ॥ ॥ साहब का गुणगान ॥ (तर्ज-कमली वाले को ।) सुयश जग में छाय रहा, पूज्य अमोलक ऋषिजी स्वामी का। दुनियां में गुण गाय रहा, - पूज्य अमोलक ऋषिजी स्वामी का ॥१॥ लघु वय में दीक्षा ले करके, किया बोध बत्तीसी सूत्रों का। . प्रसिद्ध हुआ जग बीच रहा, . पूज्य अमोलक ऋषिजी स्वामी का ।।२।। ऋषि सम्प्रदाय में शोभित हो। जिम तारागण में निशिमणी हो । बीज कला ज्यूं यश फैल रहा। पूज्य अमोलक ऋषिजी स्वामी का ॥३॥ 207
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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