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________________ वाकियां लावो रे बाटकियां लावो । बाटकियां गमी वे तो सोधावे ने बाटकियां लावो ॥४॥ कलशियां लावो रे कलशियां लावो । वे तो झेलावे ने कलशिया लावो ॥५॥ कलशियां फूटा पुरसणिया लावो रे पुरसणिया लावो । पुरसनिया भूखा वे तो जिमाडे ने पुरसणियां लाओ ॥६॥ भोजनिया लावो रे भोजनिया लावो । भोजनिया ठंडा वे तो ऊना करने भोजनिया लावो ॥७॥ दीवटिया लावो रे दीवटिया लावो । दीवटिया बुझिया वे तो सलगावे ने दीवटिया लावो ॥ ८॥१ पान बीडा लावो रे पान बीडा लावो । पान थारा कोरा वे तो लगावे ने पान बीडा लावो ॥९॥ गीतडा गावो रे गीतडा गावो । गीता नहीं आवे तो शुभगीतां री पोथियां सूं गीतडा गावो ॥ १०॥ ॥ जुवा जुवी का गीत || ( तर्क - जुदा रमे जुबी रमे बनडर ने बनडी ) सुनजो बना-बनी सीख सुखदाई । जुवा रमण री चाल है खोटी ॥ जुवा तो रमिया पाण्डव भाई, द्रौपदी ने हारी वनवास में फिरिया ।। नलराजा तो 151
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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