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________________ उठो मारा माताजी सजो सिनगार । बधावण री वेला माता, होय जो तैयार ॥५॥ कलश तो लीधो माता, बायां रे परिवार । तिलक तो कोनो ने चावल चेड्या ॥६॥ बनडा ने देखने हर्ष मनावे ।। उठो मारा पिताजी मिलनी करावो ॥७॥ हृदय सुं हृदय मिलायने मिलजो । ब्याई-ब्याई में अन्तर मत रखजो ॥८॥ प्रेम का झरणा तो आप बेवायजो । केसर कुंकुरा तिलक करायजो ॥९॥ अन्तर गुलाब जल छांटना नकायजो । गुलाल तो तन पर कोई मत डालो ॥१०॥ ऊंदी तो रीत आ जल्दी मिटाओ । शुभ वेला मांही आछी न लागे. ॥११॥ मेहलां रे माहि · बालक बनडी बैठी । "बनडा री वाट बालक बनडी जोती ॥१२॥ तोरण ऊपर बनडोजी आवे। बनडी तो देखने अति हरषावे ॥१३॥ 134
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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