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नाकजो, जतना सं खावो । भेला करीने घर में मत राखजो, लीलन फुलन सुं कर्म बंधावे ॥२॥ दान देई ने सुजस लोजो, थाल भर-भर साधर्मी ने दीजो ॥३॥ अनाथ दुखीयाने साता उपजाइयजो शुभ करणी सं बना-बनी सुख पावे ॥४॥ विरथाल का यह भाव सुनायो, जय-जयकार आनन्द वरतावो ॥५॥
। माहेग रो गीत ।। (र्ज -- जीयो बना जाइजो जाइजो सब ही देश पूरब मत जावजोजी) जियो वीरा घर में नागर बेल
• आंगण आंवो मोरियो जी वेगा आव ।।टेर।। जियो वीरा घर मांहे विरद है दोय,
कागद लिख मेलियाजी वेगा आव ।।११ जियो वीरा थांरो घर समद्रां पार,
उडाऊं ऊबी काग ने जी वेगा आव ॥२॥ जियो वीरा क्यूं करी इतरी जेज,
देवर मोसा बोलसीजी वेगा आव ॥३॥ जियो वीरा मिलसी सघलो साथ,
जामण जायो कद मिलेजी वेगा आव ॥४॥ जियो वीरा पानी गई रे तालाब,
पाल चढ़ झांकती जी वेगा आव ।।५।।
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