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बना जर्मन होता आवजो, विज्ञान केरी बातां लावजो जी, मारा देश ने चलावोला कांइजी ॥४॥ बना जेनेवा होतः आवजो, विश्व शान्ति री बातां लावजो जी, गंगा प्रेम बहावोला कांइजी ॥५॥ बना जापान तो थे जावजो, हुन्नर री बातां लावजो जी, मारा देश ने बतावोला कांइजी ॥६॥ बना 'धीरज' धरता आवजो, श्रीनाथ न सुख पहचावजो जी, सेवा देश री बजावोला कांइजी ॥७॥
|| बना ॥
(तर्ज-आंबाजी पाक्या मरवण नीबू जो दाक्या) मंडे तो बोलो बनासा मंडे तो बोलो, खोलो रसना ने अमृत घोलो, बनासा मांसु मंडे तो बोलो ॥टेर॥ थे तो दाडम ने में तो दाख बनासा, एकण क्यारी में भेला ऊग्या ॥ बनासा मांसुं मूंडे । थे तो राजा ने तो राणी बनासा, एकण चवरी में भेला परप्या । बनासा मांसं मूंडे तो बोलो ॥२॥ थे तो शक्ति ने में तो रूप बनासा ॥ एकण गाड़ी में भोला जोत्या ।।३।।
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