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पैराय, बधावो मारे आवियो ॥४॥ ये मोती समुद्रा में निपजे, ये मोती भूराजी रे काने, बधावो मारे आवियो, भाग्य भलाजी मारी भुआ सा रा, देशी है आरतडी कराय, बधावो मारी आवियो ॥५॥ ये मोती समुद्रां में निपजे, ये मोती बोंद राजा रे काने, परण पधारया मारे आंगणे, होसी है मंगलाचार, बधावो मारे आवियो ॥६॥
॥ बना।
(तर्ज-घटाघर बणियो गिरदी कोट में ।) सरदार बनासा, खादी मंगवादो मारे वासते । उमराव बनासा, रे जी रंगवादो मारें वासते ॥टर।। खीनखाप ने वायल मलमल, रेशम दाय न आवे । परमट्टो डक जाली माने, बिलकुल नहीं सुहावे हो। झीणां पहरां लाज गमावां, हासल कांई पावाँ । जल्दी-जल्दी कपड़ा फाटे, घाटो घणो उठावाँ हो ॥२॥ अंगरेजी फैशन ने छोडी, ली अंगरेजी धार । टुकड़ी माने आप रंगादो, है लँगी तूं प्यारजी ॥३॥ देशी पहरां खरचो कमती, है आ सादी चाल । बदनकांत भारत रा इनसं, हो जावे खुशहात हो ॥४॥
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