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________________ आयी बाजारां रे मांय, दुकाना में बेचता ॥ वारे पिता रे मन कोड़ केसर मोलवे, वारे काका रे मन कोड़ हलदी मोलवे ॥ वारी माताजी चतुर सुजान, केसर अंग चढ़े ॥ वारी काकीजी चतुर सुजान, हलदी अंग चढे ॥ पाउडर, स्नो, मत लगाइजो बेन, आरोग्यता नहीं रेवे ॥ चालो पुरानी चाल, आरोग्यता तन रेवे ॥ फैशन है सदा दुःखदाय सादगी से सुख पावो ॥ इति ॥ ॥ तेल लगाने का गीत ॥ (तर्ज-आवो आवो जोधाणा रा तेली जी ) आवो-आवो भरत-क्षेत्र रा तेलीजी, लावो तिलरा सरसों रो तेलजी ॥ मायें घालो मरवो ने मगतुली जी॥ मायें घालो केसर ने कस्तुरी जी ॥ वो ही तेल बनडा रे अंग चढ़सीजी, वो ही तेल बनडी रे अंग चढ़सीजी ॥ रुपया वांरे बाबोसा भरदेशीजी, लेखो वांरा वीरोसा करलेसीजी ॥ पहली तो व्यायाम करनोजी, बायां रे व्यायाम चक्की दूध मथनोजी ।। जिससे तन्दुरुस्ती बनी रहसीजी, मीलां रो तो तेल मत लेवोजी, घाणी रो तेल है सुखदायजी, शरीर में साता रहसीजी ॥ सहस्रपाक शतपाक तेल लगावजोजी, सुवागन नारी मिल मंगल गावसीजी ।। इति । 96
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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