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बल देवो विनायक, लाड़लडारा बाप ने जो ॥ ये तो जीबड़लिया जस देवो विनायक, लाड़लडीरी माय ने जी॥ ये तो गाय बजाय यश देवो विनायक, लाडलडीरी बेनने जी ॥ ये तो देव विनायक हिंसा नहीं करे, दया पाले सब जीवरीजी ॥ ये तो देव विनायक झूठ नहीं बोले, बोले ओ शब्द सुहावना जी ।। ये तो देव विनायक चोरी नहीं करे, दान तो देवे ऊँचा भावसुंजी ॥ ये तो देव विनायक शील जो पाले, पाले
ओ खांडा री धार ज्यू जी ।। ये तो देव विनायक परिग्रह त्यागी, त्याग्या है सब संसार ने जी ।। ये तो देव विनायक रेशन नहीं पेरे, पेरे ओ खादी रा वस्त्र जी। ये तो देव विनायक षट् रस नहीं जीमे, जीमे ओ निरस आहार ने जी।' ये तो देवविनायक एकान्त नहीं बैठे, बैठे ओ परिषदा मांय ने जी ॥ देतो बाजाजी बाजे ने मंगल गावे, नगरी री नारियाँ मिल आवती जी ।। ये तो लाड़ लडारा कोड जो करसी, ज्यां वर्धमानजी रो गुण गावसीजी, गौतम रा गुण गावसीजी ।। इति।।
॥ हलदी। (तर्ज-मारी हलदी रो रंग सुरंग, निपने मालवा
मारो हलदी रो रंग सुरंग, निपजे देश में ॥ मारी केशर रो रंग सुरंग, निपजे काशमीर में है ॥ आ तो