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तो ॥ शु०॥ २३२ ॥ भीमजी पुत्र दिन २ बघे,
औषधादी शरीरे करें सेव तो ॥ चारूंकी दिव्य काया हुइ, ग्राम बाहिर नृप पाप्त नूमी लेव तो। बंगला बन्धाइ तिहां रह्या, सूवर्ण करे लोह पर रस खेव तो॥ शैन्यानो संचय करे, छावणी बसाइ तनखा खूब देव तो । शु०॥२३३॥ कुंवर नण्या बहुत्तर कळा, थोडे काले प्रवीन हुय तेव तो॥ पुरपयठाणे खबर गइ, अरीजय थोमांसीको नेवे तो।। मोदीने संग ले भावीया, भीमसेण नेटया तिह एव तो ॥ सेंदीसी सुस्त लगी, अरीजय पूछे क्यां देख्याथा हेव तो।। शु० ॥ २३४॥मोदी बोल: खी घूजीयो, ढाल करवाल दीवी तत्देव तो॥ प्रा. पराध गुप्त खमावीयो, मुज लज्जा अापरे हाथ छेव तो ॥ मोदी कहे निज रायने, ये पधार्थी यां १ माई २ ओळख ३ तरवार.