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(६९) कौशल्यता द्रव्यानु जोगे, उत्तम जात निकल्यो जवेरात तो ॥ मशालाथी ते शुद्ध किया, नग ढग राय ग्रहीकर हात तो ॥ जो०॥ १७४ ॥धनदत्त पास भावीया, मोल तिणरो नव लाख बतात तो ॥ अब्बी सोनैया लीजीये, रायना चितमें वैम उनरात तो ॥ नाणो लिया चोर जो हरे, हुंडी लिया दिवालो निकल जात तो॥ युक्ती करी साथ नग रखें, अाखिर इम निश्चयपर बात तो ॥ जो० ॥ १७५ ॥ थोडा नग बेंची करी, सेठजी को सहु कर्ज चुकात तो ॥ कर २ कंथा गोदडी, खंडो खंड वस्त्रनी बणात तो ॥ पट २ अंतरे नग धरी, मजबूत चौगर्द टांका लगात तो ॥ गुडनो पाणी छांटीयो, मांखी नण नणे कोइ पास न आत तो ॥ जो० ॥ १७६ ॥ लंगोटी लगाइने, जेष्टिक तुम्बी ग्रही कर माय तो ॥ लंबो टीको