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(५३) तो ॥ दुःखमें क्यों छोडो तातजी, जो छोडसो तो म्हाने मरणोय तो॥जो० ॥ १३३ ॥ हमने मारी पधारजो, राजा छातीए लगाया सोय तो ।। विश्वासी कहे जावू नही, इम बाता करतां रातडी होय तो॥ कुंवर दोइ सोइ गया, राजा राणी समजाइ चोय तो॥ ढाल अस्सी ले नीकल्या, राणी निश्वास न्हाखी रही जोय तो ॥ जो० ॥ १३४ ॥ रायजी आगे चालीया, योग्य पुष्प फल पात्रादी खाय तो॥ धर्मशाळा देवल विषे, रात रही धर कुच चल्या जाय तो। चार दिवसन अंतरे, पुर पयठाणे पहोचा ते अाय तो॥ बृष पुरुषथी पूछीयो, नूप जमाइ मिलबा उपाय तो॥ जो ॥ १३५ ॥ ते कहे कल क्यानी अावीया, राय जमाइ निकल्याथा जाय तो॥ हवे षट मासने अंतरे, राजा निकलसी सवारी सजाय