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( ३८ )
खनें, करुणा वे कांइ करे ते ठम तो ॥ क० ॥ ॥ ९२ ॥ मांग्यो पण जावे नही, चालवा शक्ती नही जरा तमे तो ॥ संध्या समय एक ग्रामपें, बाहिर रह्या तिहां जाय विषम तो ॥ तडफी रयण पूरी करी, पाछली रातथी चाल्या थमथमं तो ॥ दूजो दिन इमही गयो, जोवो विचित्र गति केवी करम तो ॥ क० ॥ ९३ ॥ कुंवर कहे रोवता थका, पीत:जी भूख लागी घणी मोग तो ॥ याकुल व्याकुल होवे जीवडो, बोलणारी शक्ती नही होय तो || यो दुःख सहन होवे नही, उपाय सुखको न दीसे कोय तो ॥ आपका खड्ग से महारा, कटका करो दोन्यारा दोय तो ॥ ६० ॥ ९४ ॥ राय कहे - ये घरो बेटा, वो मोटो शेहर लेवो थे जोय तो ॥ तिणमें जाइ में लावस्यु, जोजन पक्वान्नादी वस्तू १ हुस्यारी. २ टहर ठेहर.