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________________ ( १०४) जावे मुनी माल तो ॥ वनरक्षक अलंकृत हुइ, नेटणो ले आयो सनामें चाल तो ॥ जय विजय बधायने, दिनी बधाइ पधार्या दयाल तो ।। ध० ॥ २६३ ॥ नीमजी सुणी पाणंदिया, साडी बारे लक्ष हिरणं दिलाय तो ॥ माली निजघर आवीयो, नीमसेण तलवरने बुलाय तो ॥ नगर सिणगार करावइ, कोटवाल पुर सोनित कराय तो॥शैन्य सजवा हुकम हुया, फोजदार फट फोज सजाय तो ॥ ध० ॥ २६४ ॥ मंजन सर्दैने महीपति, विलेपन कर शुद्धोदकं न्हाय तो ॥ अल्प नार कीमत घणी, वस्त्र भूषणे अलंकृत थाय तो ॥ सब सज्जन संग परवर्या, तारांगणे सोने इन्दुं ज्यों राय तो ॥ जेष्ठ कुंजरे विराजीया, छन धराइ चम्र ढुलाय तो ॥ १०॥ २६५ ।। १ माली २ शुगारसन ३ रुपया : घरमें ५ अच्छाषाणी चंद्रमा.
SR No.006294
Book TitleBhimsen Harisen Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year1909
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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