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________________ [ ३६ ] पहुंचा सकते हैं, मच्छ कच्छादि पानीमें रहकर पानीको खच्छ आरोग्य रखते हैं। पक्षी अपने पंखों द्वारा वायुको आरोग्य बनाते हैं, पशुके गोबरसे घरकी स्वच्छता होती है इत्यादि अनेक काम जगत्के ऐसे हैं कि जिसमें पशुकी सहायताकी आवश्यकता पड़ती है। इसलिए ये ही कहा है कि "जीवो जीवस्य जीवनम" जो जीवका जीव भक्षण होता तो ऐसा लिखा होता कि-"जीवो जीवस्य भोजनम्” इस प्रकार अर्थका अनर्थ करके मतलबी मनुष्य भोले लोगोंको भ्रममें फंसाकर डुबाते हैं। सुज्ञो! जरा दीर्घ दृष्टिसे विचार करके देखो कि, मनुष्य मांसाहारी है ही नहीं,इससे संसारमें प्राणीयोंका वर्ग दो प्रकारका होता है यथा-मांसाहारी और घास (वनस्पति) आहारी जो पशु मांसाहारी हैं उसके अवयव ही अलग प्रकारके होते हैं वे शस्त्रादिके सहाय विना ही भक्षप्राणीका वध करके कच्चे मांस ही का भक्षण करते हैं, और वह उनको पाचन भी हो जाता है, मांसाहारी पशु पानीको
SR No.006293
Book TitleSaddharm Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherNanebai Lakhmichand Gaiakwad
Publication Year1863
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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