________________
[२९] (४) यदि पुत्र कुपुत्र हुआ तो भी पिता उस की गरदन काटता नहीं, विशेष क्रोध आया तो उसको घरके बाहर निकाल देता है। उसी मुजब यदि उन जीवोंका दुःख अपनेसे सहन नहीं हुआ तो उनको यत्नसे ग्रहण कर सुखस्थानमें रख दो क्योंकि वे कुछ पक्षी नहीं हैं कि जो उडकर पीछे घरमें आजायगे? परन्तु उनको मारकर घातक क्यों बनना चाहिये अर्थात् मारना उचित नहीं है।
(५) अधर्मी लोग सांपको क्षुद्रप्राणी कहते हैं और वे ही उसको देव मानते हैं, सर्पने अपना शरीर सेवार्थ श्री विष्णुको समर्पण कर शैय्यारूप बना है। श्री शंकरने सर्पको मायारूप मानकर अपने गलेका भूषण बनाया है। इसलिए हर नागपंचमी के दिन सर्पका पूजन करते हैं, दुग्ध पान कराते हैं, जो कभी सच्चा सर्प नहीं मिला तो पत्थरका तथा चित्रका सर्प बनाकर उसकी पूजा करते हैं । अब देखिए, पत्थरके तथा चित्रके सर्पकी तो पूजा करते हैं और सच्चे सर्पको मार डालते हैं, क्या उस