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और जमाइ हजरत अलिसाहेब का फरमान ऐसा है कि___“फलातज अलू बुतूनकुम मकाबरल हयवानात" अर्थात्-तुम पशु पक्षियोंकी कबर तुम्हारे पेटमें मत करो अर्थात् पशु पक्षियोंका वध कर के खाओ मत, ऐसा ही एक फारसी बेत में भी कहा है
न साजी मका में शिवमरा तु गोर ॥ जे बेहरे वहायन जे चेहरे तुयूर ॥ अर्थात्-पशु पक्षीयोंकी कवर तुम्हारे पेटमें करना नहीं । मय खुरों मुसहफ वेसाजो आतश अन्दर कावा वजन साकीने बुतखाना बाश मगर मरदुम आजारी मकुन। ___ अर्थात्-शराब पी, कुरानको जला डाल
और काबे में आग लगादे परन्तु कभी भी किसी भी प्राणी को दुःख देना नहीं । ___ पारसी धर्मशास्त्र “शाहनामा " मे फोशिन लिखा है कि:
नस्ति झन्द खुराने जानवरज्यु ॥ यनीन अस्त दीने झर टुरतनेकु ॥