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[१९] अर्थ अहिंसा संयम और तप रूप धर्म है सो सब धर्मोसे उत्कृष्ट अत्युत्तम-श्रेष्ठ धर्म है, ऐसे धर्ममें जिनका मन सदैव रमण करता है अर्थात् ऐसे परमोत्तम धर्मके जो पालन करनेवाले हैं उन को देवतादिक नमस्कार करते हैं। . हिंदू धर्मके वेद-शास्त्रका मुख्य वाक्य यह है कि
___अहिंसा परमो धर्मः” अर्थात्-परमोत्कृष्ट धर्म वही है कि जहां किंचित् मात्र हिंसा नहीं होती है । महाभारत शांतिपर्वक १३२ वें अध्यायमें कहा है कि:---. अद्रोहः सर्वभूतेषु, कर्मणा मनसा गिरा । अनुग्रहश्च दानं च, सतां धर्मः सनातनः ॥ १ ॥
अर्थात्-मन, वचन और काय करके किसी भी जीवका द्रोह नहीं करना अर्थात् दूसरेके दुःख प्रद विचार उच्चार व आचारसे दूर रहना और परोपकार करना यही सनातन धर्म है ।
श्रीमद्भागवत स्कन्ध ७ अध्याय १४ के श्लोक ९ में कहा है